प्रवीण राय । गिरिडीह . नोबेल पुरस्कार विजेता महान वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस की कर्मस्थली व भगवान महावीर की तपोभूमि गिरिडीह आज भी विकास से दूर है। नक्सलवाद, अतिक्रमण, बेरोजगारी, पलायन, ट्रैफिक, स्वास्थ्य, शिक्षा यहां की मुख्य समस्या वर्षाें से रही है। मनोरम वादियों से घिरा यह वनीय इलाका कोयला, अभ्रक समेत तमाम खनिज उत्पादन के लिए मशहूर है। नक्सली और आपरधिक घटनाओं के भय से शाम 7 बजे के बाद शहर से बाहर जाने वाले प्रमुख मार्ग ब्लॉक हो जाते हैं।
विश्व विख्यात जैनियांे का तीर्थस्थल पारसनाथ के डेवलपमेंट का खाका तैयार हुआ। 2000 करोड़ के बजट से दो दर्जन से अधिक आदिवासी बहुल गांवाें के भी विकास की योजना बनी, पर तैयारी कागजों तक ही सिमटी रही। पीरटांड़ व मधुबन इलाके की बदहाली यथावत है। गलत नीतियों के कारण माइका उद्योग मृतप्राय हो गया है। अब बात चुनाव की। 10 साल से विधायक निर्भय शाहाबादी के लिए रास्ता आसान नहीं है। महागठबंधन ने झामुमो के सुदीव्य कुमार को प्रत्याशी बनाया है। झाविमो के चुन्नुकांत भी मैदान में हैं।
स्मार्ट सिटी पर काम नहीं
2014 में गिरिडीह को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया गया। शहर का स्वरूप बदलने, विस्तार करने, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने जैसी घाेषणाएं की गईं। हालांकि, घोषणाएं धरातल पर उतर नहीं सकीं।
भय...नक्सली व आपराधिक वारदातें अब भी जारी
1 बाईपास : चतरो से करहरबारी, जरीडीह, पचंबा, चंदनडीह होते कॉलेज मोड़ मंे बेंगाबाद रोड से जुड़ना था। कुछ जमीन अधिग्रहण भी हुआ, पर 3 साल से योजना बंद है।
2 स्वास्थ्य: सदर अस्पताल में आईसीयू नहीं है। लिहाजा हादसे के शिकार मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है। धनबाद, रांची अथवा बोकारो रेफर किए जाते हैं।
3 उसरी नदी: गिरिडीह-बेंगाबाद को जोड़ने वाली उसरी नदी लाइफ लाइन है। अतिक्रमण व गंदगी से अस्तित्व पर खतरा है। शहर का गंदा पानी नदी में ही जा रहा है।
4 शिक्षा : मेडिकल-इंजीनयरिंग कॉलेज नहीं है। बच्चे दूसरे प्रदेश में जानेे काे विवश हैं। महिला कॉलेज है, लेकिन यहां पीजी की पढ़ाई अब तक शुरू नहीं हो पाई है।
3 चुनावों का सक्सेस रेट
2014 : निर्भय शाहाबादी, भाजपा- 57450, सुदिव्य कुमार, जेएमएम-47506, बाबूलाल मरांडी, जेवीएम- 26651, 2009 : निर्भय शाहाबादी, जेवीएम- 28771, मुन्ना लाल, निर्दलीय-21664, चंद्रमाेहन प्रसाद, भाजपा- 18276, 2005 : मुन्ना लाल, जेएमए, 31895, चंद्रमाेहन प्रसाद, भाजपा-24920
वोटर्स बोले...ज्यादातर योजनाएं कागजों पर ही
ज्यादातर योजनाएं कागजों पर ही रह जाती हैं। देर शाम या रात में काेई मरीज गंभीर हो जाए तो डॉक्टर नहीं मिलेंगे। - आशीष सिंह, बोड़ो
क्षेत्रफल विकसित जिले से कई गुना अधिक है। लेकिन 1972 में जो ढांचा था, आज भी वैसा ही है। - निरंजन कुमार, अधिवक्ता